Kedarnath Temple Uttarakhand | Story, History & How to reach

Kedarnath Temple:- केदारनाथ उत्तराखंड के चार-धामों में से एक धाम है. आज आपको केदारनाथ मन्दिर से जुडी एक बेहद रोमांचक कहानी के बारे में बताऊंगा. साथ ही यहाँ कैसे पहुँचे तथा यहाँ जाने का सही समय क्या है इसके बारे में भी आपको आज इस पोस्ट के माध्यम से बताया जाएगा. तो चलिए जानते हैं.

केदारनाथ मंदिर – Kedarnath Temple

Kedarnath Temple Uttarakhand

चार धामों, हिमालय (himalaya)पर्वत की गोद में 12 ज्योतिर्लिंगों में सम्मिलित तथा पांच केदार में से एक केदारनाथ (kedarnath) भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है.

केदारनाथ मन्दाकिनी नदी के पास वाली घरवाल हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं  (chain) पर बना हुआ है. यहाँ के प्रतिकूल मौसम  तथा जलवायु  के कारण यह मंदिर april से nov तक ही खुला रहता है. इसी बीच यात्री बाबा केदार (kedarnath) के दर्शन कर सकते हैं. अर्थात 6 माह (months) बाबा के कपाट (valve) बंद रहते हैं.

Nov माह में कपाट बंद हो जाने के बाद बाबा केदार की मूर्ति ( statue ) को 6 माह के लिए उखीमठ ले जाया जाता है. जहाँ बाकी के 6 माह उनकी पूजा (worship) की जाती है.

यह भगवान शिव को समर्पित (Dedicated) एक हिन्दू मंदिर (temple) है. माना जाता है की भगवान शिव ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के रूप में प्रकट (apparent) हुए थे.

माना जाता है की विशाल पत्थरों (stone) से बना यह मंदिर हजारों साल पुराना है. जिसके प्रमाण (proff)हमें मंदिर की सीढ़ियों में बने प्राचीन शिलालेखों  (Inscriptions)के रूप में दिखाई देते हैं.

2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ (Flooding) से केदारनाथ तथा इसके आस पास के काफी क्षेत्र प्रभावित हुए जिसके कारण केदारनाथ के साथ-साथ काफी क्षेत्रों को क्षति पहुंची परंतु मंदिर के अंदर थोड़ी भी क्षति नहीं हुई.

केदारनाथ मंदिर 3581m  की ऊंचाई (hight) पर स्थित है. संभवतः यहाँ पर यात्रा (journey) कर पाना आसान नहीं है. सीधे रास्ते (by road) से मंदिर तक नहीं पहुंचा जा सकता. यानी की सडक (road) मार्ग द्वारा केदारनाथ तक नहीं पहुंचा जा सकता. सडक मार्ग से केवल गौरीकुंड (gaurikund) तक पहुंचा जा सकता  है. गौरीकुंड से मंदिर  तक पहुंचने के लिए 21km का पैदल, पहाड़ी यात्रा करनी पड़ती है.

पौराणिक (Mythological) कथाओं के अनुसार माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था तथा आज शंकराचार्य ने इसे पुनर्जीवित (Revived) कर पुनर्जीवन दिया.

पौराणिक(Mythological) कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए केदारनाथ में तपस्या की थी. मंदिर के बाहर दरवाजे पर नंदी की मूर्ति (statue) भी है जो कि एक रक्षक का काम करती है.

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लोक कथा – Story Of Kedarnath Temple

कहा जाता है कि महाभारत (mahabharat) के युद्ध में विजयी (victory) होने के बाद पांडव, भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. इसके लिए वह भगवान शिव क्षमा (forgiveness) मांगना चाहते हैं,  लेकिन भगवान शिव पांडवों से नाराज थे इसलिए वे अंतर्ध्यान  (Intercepted) होकर केदार में बस गए परंतु पांडवों को इसके बारे में पता चल गया और वह भगवान शिव के पीछे-पीछे केदारनाथ पहुंच गए. जब भगवान शिव को ज्ञात हुआ कि पांडव उनको खोजते हुए केदार पहुंच चुके हैं तो पांडवों को चकमा देने के लिए उन्होंने बैल (ox) का रूप धारण कर लिया और वहां मौजूद सभी बैलों जानवरों (animals) के बीच जा मिले. जब पांडवों को इस बारे में ज्ञात हुआ कि भगवान शिव रूप बदलकर जानवरों में शामिल हो गए हैं तब भीम ने विशाल रूप धारण (assumption) कर दिया तथा दो पर्वतों पर पैर गड़ा लिए. तत्पश्चात (thereafter)सभी जीव जंतु भीम के पैरों के बीच से गुजरने लगे परंतु एक बैल भीम के पैरों के बीच से गुजरने को तैयार नहीं हुआ । भीम ने जैसे ही बैल को देखा तो उस पर झपट (Pounce) पड़े, परंतु बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा। परंतु भीम ने बैल की पीठ का भाग बलपूर्वक पकड़ लिया। पांडवों की भक्ति देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए। पांडवों की भक्ति (devotion)से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन देकर पांडवों को पाप से मुक्त कर दिया उसी दिन से भगवान शिव की बेल के पीठ की आकृति के रूप में केदारनाथ में पूजा की जाती है ।

केदारनाथ मंदिर कैसे पहुँचे – How to reach Kedarnath Temple

 

रेल मार्ग – by Train

केदारनाथ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन (railway station) ऋषिकेश है। जिसकी दूरी केदारनाथ से 223 किलोमीटर है। यहां से आगे सड़क मार्ग (by road) द्वारा पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग – by Road

सड़क 12 केदारनाथ तक पहुंचना बेहद आसान है। क्या ऋषिकेश से 223 किलोमीटर पर स्थित है । सड़क द्वारा केदारनाथ पहुंचने के लिए बस एक अच्छा विकल्प (option) होगा। केदारनाथ यात्रा के लिए ऋषिकेश (rishikesh) से आसानी से बस ली जा सकती है । या फिर निजी वाहन (private car), टैक्सी (taxi)  हायर कर भी यहां पहुंचा जा सकता है ।

सड़क मार्ग द्वारा केवल गौरीकुंड तक पहुंचा जा सकता है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक 21 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है ।

हवाई मार्ग – by Air

यदि आपके पास समय की पाबंदी है या फिर बूढ़े बुजुर्ग हैं जो कि एक 30 किलोमीटर का पैदल सफर (travel) नहीं कर सकते, उनके लिए हेलीकॉप्टर एक बेहतरीन (perfect) विकल्प होगा ।

मंदिर का सबसे नजदीकी (nearest helipad) हेलीपैड मंदिर से मात्र 700 मीटर की दूरी पर स्थित है। जहां से मंदिर चंद्र(some) कुछ मिनटों की दूरी पर है ।

हेलीकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचना बेहद आसान (easy) है। देहरादून से विभिन्न हेलीकॉप्टर एजेंसी (agency’s) द्वारा आप हेलीकॉप्टर की बुकिंग कर केदारनाथ यात्रा कर सकते हैं।

या फिर यदि आप देहरादून से ना होकर केदारनाथ से और नजदीक से हेलीकॉप्टर से यात्रा करना चाहते हैं तो गुप्तकाशी से आप सेवा (Service) का लाभ उठा सकते हैं । परंतु इसके लिए आपको प्री बुकिंग (pre-booking) करना बेहद आवश्यक है ।

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केदारनाथ जाने का सही समय – Best time to visit Kedarnath Temple

जलवायु (Climate) ठंडी होने के कारण केदारनाथ में साल के अधिकांश ठंड रहती है। इसलिए may to june और sep to oct केदारनाथ दर्शन के लिए उचित होगा। जिसका मतलब है कि बरसात के समय यानी july to aug यात्रा के लिए उचित समय नहीं होगा ।

पहाड़ी रास्ते (Narrow) एवं संकरे सड़क मार्ग होने के कारण बरसात में यात्रा करना जोखिम भरा हो सकता है ।

केदारनाथ से बद्रीनाथ की हवाई दूरी 41km है |

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Delhi to Kedarnath Temple Distance by Road

दिल्ली से हरिद्वार – 206km

हरिद्वार से ऋषिकेश – 24km

ऋषिकेश से देवप्रयाग –  74km

देवप्रयाग से श्रीनगर –  34km

श्रीनगर से रुद्रप्रयाग –  33km

रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड – 74km

गौरीकुंड से केदारनाथ 14km पैदल

Kedarnath Temple – Frequently Asked Questions

केदारनाथ मंदिर किसने बनाया ?

ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण तो है नहीं परन्तु माना जाता है की केदारनाथ मंदिर पांडवों के वंशज जनमजेय में बनवाया था।

केदारनाथ का दूसरा नाम क्या है?

यूँ तो केदारनाथ पांच केदार और उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। लेकिन केदारनाथ को केदार खंड के नाम से भी जाना जाता है।

केदारनाथ में कौन सी नदी बहती है?

केदारनाथ में मन्दाकिनी नदी बहती है। रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी और अलकनंदा नदी का संगम होता है।

केदारनाथ में किसकी पूजा होती है?

केदारनाथ में भगवान शिव के बेल की पीठ की आकृति की पूजा होती है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कब होते हैं ?

भाई दूज के दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होते हैं। जो 6 महीनो के लिए बंद होते हैं।

केदारनाथ 6 महीने बंद क्यों रहता है?

सर्दियों में केदारनाथ में मौसम बेहद सर्द रहता है। 6 महीने केदारनाथ पूरी तरह बर्फ से ढाका रहता है। इसलिए केदारनाथ मंदिर 6 महीने के लिए बंद रहता है।

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